झगडने लगी । दोनों बटवारे के लिए बंदर के पास गई । बंदर ने रोटी के
दो टुकडे किये तथा अपने तराजु मे दोनों ओर एक एक टुकडा डाला ।
जिस ओर पलडा भारी होता, बंदर उसी ओर से बडा सा टुकडा काट कर
खा जाता ।इस पृकार करते करते छोटा सा टुकडा बच गया । बंदर उसे भी
यह कहकर खा गया ये मेरी मेहनत का फल है । और भाग गया बिऌिया
निराश देखती रह गयी
सिख| ़़़इस कहानी से हमे सिखना चाहिए कि आपस मे मिल बांटकर
खाना चाहिए झगडना नही चाहिए इससे अपना ही नुकसान होता
है
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