जैसी करनी वैसी भरनी
एक गाँव में एक वैध रहता था । वह चिकित्सा की विधा में दक्ष तो था , किन्तु उसका भाग्य अच्छा नहीं था । परमात्मा ने उसे विधा तो दी थी पर भाग्य उल्टा दिया था । वह जिस किसी की भी नाडी पर हाथ रखता था उसको यमराज के घर अवश्य जाना पड़ता था । वैध अपनी मनहूसियत के लिए चारो ओर प्रसिद्ध हो गया था । अमीर - गरीब छोटे - बडे सभी के कानों में यह बात पड चुकी थी कि जो भी व्यक्ति वैध के पास चिकित्सा कराने जाता है उसकी मृत्यु हो जाती है । अत: कोई बीमार आदमी दवा के लिए वैध के पास नहीं जाता था।
बेचारा वैध पूरे दिन रोगियों की राह देखता रहता था ।पर आने की कौन कहें, कोई रोगी उसके द्वार की ओर झांकता तक नहीं था । आखिर वह स्वयं रोगियों की खोज में इधर - उधर चक्कर लगाने लगा । कभी कोई रोगी मिल जाता तो कुछ आय हो जाती थी । नहीं तो खाली हाथ लौटना पड़ता था । जब कामकाज ही नहीं चलता था तो फिर रोटी कैसे चलती ? कभी - कभी वैध को भूखा ही सो जाना पड़ता था ।
संध्या का समय था । दिन भर चक्कर लगाने के बाद वह अपने घर की ओर लौट रहा था । उसे कहीं भी कोई रोगी नहीं मिला था । वह मन ही मन बड़ा दुखी था । और एक पुराने वृक्ष के नीचे आकर बैठ गया तथा सुस्ताने लगा । सहसा उसकी दृष्टि वृक्ष के तनें के कोटर पर गई । उसने देखा कि कोटर में एक विषैला सर्प बड़ी ही आराम से सो रहा है ।
वैध सर्प को देखकर मन ही मन सोचने लगा कि यदि यह सर्प किसी को डस लेता , तो वह अवश्य मुझसे अपना इलाज कराता और मुझे अच्छी आय हो सकती है । पर यह सर्प डसे तो किसे और कैसे डसे । वैध मन ही मन सोचने लगा।
कुछ दूरी पर कुछ लडके खेल रहे थे । लडकों को देखकर वैध को एक उपाय सुझ गया । जब उपाय सुझ गया तो वह बड़ा प्रसन्न हुआ । वह कुछ क्षणों तक विचार करता रहा । फिर लडकों के पास जाकर बोला :- उस पुराने वृक्ष के कटोर में एक मैना सो रही है । अगर तुम में से कोई उसे पकडना चाहता है तो मेरे साथ चलकर उसे पकड सकता है ।
एक चतुर बालक बोल उठा :- काका जी ! मै उस मैना को पकडकर पालूंगा । चलिए , मुझे दिखा दीजिए ।
वैध यही तो चाहता था । वह लडके को साथ लेकर वृक्ष के नीचे गया और उँगली से कोटर की ओर इशारा करते हुए बोला :- मैना इसी के भीतर सो रही है ।
लडके ने बिना कोटर की ओर देखें हुए उसके भीतर हाथ डाल दिया और जो कुछ हाथ में आया उसको बाहर निकाल लिया । हाथ बाहर निकालने पर लडके ने बड़े आश्चर्य से देखा कि उसके हाथ में मैना नहीं काले सर्प की गर्दन है । लडका डर गया । उसने झट साँप को फेंक दिया । संयोग की बात , साँप वैध के सिर पर जा गिरा और उसके गले में लिपट गया ।
अब घबराने की बारी वैध की थी । उसनें सर्प को गले से निकाल फेकने का प्रयत्न किया पर सर्प ने उसे डस लिया । सर्प बडा विषैला था । उसके विष से शीघ्र ही वैध की मृत्यु हो गयी ।
वैध ने अपने स्वार्थ के लिए लडके के साथ बुराई करने की बात सोची थी पर लडके की बुराई तो नहीं हुई , बल्कि वैध को उसके बुरे कर्म का फल अवश्य मिल गया
किसी ने ठीक कहा है जो जस करें, सो तस फल चाखा।
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