एक गाँव में एक किसान रहता था । वह बहुत समझदार और महनती था। उसके चार बेटे थे । वे चारों बहुत आलसी थे। एक दिन किसान बीमार हो गया । किसान ने अपने चारों बेटों को बुलाया। किसान ने उन्हें पास बुलाकर कहा- "अब में दुनिया से जा रहा हूँ। मेरी कमाई का सारा धन खेत में दबा हैं। चारों भाई कुदालें लेकर खेत की ओर चल पड़े । शाम तक पसीना बहाकर वे खेत को खोदते रहे। पर वहाँ धन का नाम भी न था
थककर चारों बैठ गए और सोचने लगे कि अब कया करें। इतने में उधर से एक बुढा किसान गुजरा उसने पूछा- "लडकों, कया सोच रहे हो।
लडकों ने बूढ़े किसान को सारी बात बतलाईं। बूढ़ा हँस पड़ा वह कहने लगा- "लडकों, मैं तुम्हारे पिता की बात समझ गया हूँ । तुम कल इस खेत में बीज बो देना। खेत इतना गहरा खोदा गया हैं कि इसमें अच्छी फसल होगी। तुम्हारा घर धन और अनाज से भर जाएगा।
लडकों ने अब खेत ठीक करके उसमें गेहूँ के बीज बो दिए । समय आने पर इतनी फसल हुई कि उसे बेचकर चारों भाई मालामाल हो गए
इस तरह वे आलसी लडके महनत का महत्व समझ गए कि पिता जी ने सही कहा था कि खेत में खजाना छिपा हैं
सिख- इस कहानी ने हमें सिखने को मिलता हैं कि महनत से ही सफलता प्राप्त की जा सकती । आलस से नहीं
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